
बच्चों को सिखाएँ दिवाली का सच्चा अर्थ
दिवाली के सुंदर और प्रेरणादायक किस्सों से शुरुआत करें — जैसे भगवान राम का 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटना, भगवान कृष्ण का नरकासुर का वध करना, और माता लक्ष्मी का धन-संपत्ति का आशीर्वाद देना। बच्चों को समझाएं कि दिवाली बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत का पर्व है।
परंपराओं और जीवन मूल्यों पर ज़ोर दें
उन्हें सिखाएं कि दीप जलाना, घर की सफाई करना, माता लक्ष्मी की पूजा करना और दूसरों से प्रेम व दया का व्यवहार करना दिवाली की खास परंपराएं हैं। परिवार के साथ समय बिताने, आभार व्यक्त करने और ज़रूरतमंदों की मदद करने का महत्व भी समझाएं।
खाने के अलावा अन्य गतिविधियों में शामिल करें
बच्चों को रंगोली बनवाने, दीयों को सजाने, शुभकामना कार्ड बनाने और दिवाली की पूजा में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे उनका ध्यान खाने से हटकर रचनात्मकता, भक्ति और आनंद की ओर जाएगा।
त्योहार का गहरा अर्थ समझाएँ
बताएं कि दिवाली केवल मिठाई खाने या पटाखे चलाने का नहीं, बल्कि अपने दिल को साफ़ करने, दूसरों को क्षमा करने और खुशियाँ बाँटने का समय है। उन्हें समझाएं कि प्रेम, सम्मान और शुभकामनाएं देना, सबसे बड़ी खुशी होती है।
दयालुता और सेवा की भावना बढ़ाएँ
बच्चों को पुराने कपड़े, खिलौने या मिठाई ज़रूरतमंदों को दान देने के लिए प्रेरित करें। इससे उनमें करुणा और सेवा भाव विकसित होगा और वे जान पाएंगे कि दिवाली का असली मतलब खुशियाँ बाँटना है।
खाने-केंद्रित बातों को सीमित रखें
मिठाई और पकवानों का आनंद लें, लेकिन साथ ही उनसे पूछें कि आज कौन-सा अच्छा काम किया, कौन-सा दिया सबसे सुंदर लगा या किस कहानी ने उन्हें सबसे ज़्यादा प्रभावित किया। इससे उनके भीतर सकारात्मक सोच और संवेदनशीलता बढ़ेगी।
संक्षेप में, दिवाली सिर्फ खाने और सजाने का नहीं, बल्कि अच्छाई, दया, प्रेम और रचनात्मकता का उत्सव है।